जादुई कहानी (Jaadui Kahani) दोस्तों आज हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाने वाले है जिसमें एक जादुई मुर्गी होती है। अब हम बिना समय गवाए इस कहानी की तरफ आगे बढ़ते है।
पालमपुर गांव में एक दस साल की बच्ची अनीता अपने माता- पिता के साथ रहती थी। लेकिन एक दिन अचानक से उसके माता -पिता का देहांत हो गया । अब अनीता का इस दुनिया में कोई नहीं था। अगले दिन वह काम की तलाश में घर -घर में जाती है लेकिन उसे कोई काम नहीं मिलता और अंत में वह एक अंडे वाले की दुकान में जाकर काम मांगती है। लेकिन अंडे वाला यह कहकर उसको मना कर देता है कि अभी तुम बहुत छोटी इसीलिए तुम में दुकान में काम नहीं कर सकती लेकिन मेरे मुर्गी फार्म से अंडे इकट्ठे करने का काम जरूर कर सकती हो ।

Jaadui Kahani (जादुई कहानी)
यह सुनकर अनीता बहुत खुश होती है और अगले दिन से ही वह मुर्गी फार्म में जाकर अंडे इक्कठे करने का काम करने लगती है और इस तरह से उसका गुजारा चल रहा होता है। एक दिन अंडे वाला अपने फार्म में आकर मुर्गियों को देखता है जिसमे से एक मुर्गी जख्मी होती है और अनीता से कहता हैं कि इस मुर्गी को क्या हुआ ? लगता है इसे कोई बीमारी हुई है इसे जल्दी ही वसीम काका की दुकान में दे आओ कही यह बाकी मुर्गियों को भी बीमार ना कर दे। अनीता डरते हुए कहती है वसीम काका तो इस मुर्गी का काट कर बच देंगे ।
कृपया करके यह मुर्गी आप मुझे दे दीजिए । अनीता के बहुत ज्यादा प्रार्थना करने के बाद वो अंडे वाला उसे वो बीमार मुर्गी दे ही देता है। मुर्गी को में घर लाकर अनीता मुर्गी से कहती है मैं तुम्हारे चोट पर हल्दी लगा देती हूँ इससे तुम जल्दी ही ठीक हो जाऊंगी। लेकिन इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता और उस मुर्गी की हालत दिन-ब-दिन बहुत ज्यादा खराब होने लगती है ।अनीता के पास इतने पैसे नहीं होते कि वह खुद से इस मुर्गी इलाज कर सकें इसीलिए अनीता को मजबूरन धनी सेठ के पास जाना पड़ता है। धनी सेठ गाँव का सबसे अमीर आदमी है और बहुत ही ज्यादा चालाक भी था जो लोगो की जमीन को धोखे से हड़प लेता था । अनीता जब धनी सेठ से पैसा उधार मांगती है तो धनी सेठ के दिमाग में यह चल रहा होता है कि क्यों न मैं इसकी घर और जमीन अपने नाम करवा लूँ और वैसे भी इसके आगे-पीछे भी कोई नहीं है। फिर धनी सेठ कहता है मैं तुम्हें ऐसे ही पैसे नहीं दे सकता तुम्हें पहले अपने घर और जमीन के कागज मुझे देने होंगे।
अनीता की मासूमियत का फायदा उठाकर धनी सेठ उसके घर-जमीन के कागज ले लेता है और बदले में अनीता को कुछ पैसे उधार दे देता है। घर जाकर अनीता सबसे पहले अपनी मुर्गी का इलाज करवाती है। धीरे-धीरे उसकी मुर्गी ठीक हो जाती है और एक दिन धनी सेठ घर आता है और यह कहकर अनीता को घर से निकाल देता है कि आज से यह घर मेरा है और यहां कभी वापस मत आना । इस तरह से धनी सेठ अनीता को बेघर कर देता है।

अनीता पूरे गांव में घर-घर जाती है पर हर कोई उससे डांट कर भगा देता है । ना जाने वह जंगल के पास कब पहुंच जाती हैं उसे खुद पता नही चलता अब वह काफी थक जाती है और एक पेड़ के नीचे आराम करने लगती है। पेड़ के नीचे आराम करते हुए अनीता अपनी मुर्गी से बाते करने लगती है तभी मुर्गी जंगल की तरफ भागने जाती है और अनीता उसे रोकने के लिए उसके पीछे-पीछे जाती है। मुर्गी जंगल मे एक गुफा में जाकर रुक जाती है। इसी दौरान मौसम बहुत ज्याद खराब हो जाता है और मजबूरन अनीता को अपनी मुर्गी के साथ वही पर रुकना पड़ता है।
एक दिन उस गुफा में एक साधु महाराज आते है जो अनीता को उस सुनसान गुफा में देखकर हैरान ही जाते हैं। उससे पूछते है तुम यहाँ पर क्या कर रही हो ? अनीता अपनी सारी बाते उस साधु महाराज को बताती है कि कैसे धनी सेठ ने बड़ी चालाकी से उससे उसका घर छीन लिया और उसे घर से बेघर कर दिया जिस वजह से उसे अपनी मुर्गी के साथ इस गुफा में रहना पड़ रहा है। उसके बाद उस साधु महाराज ने कुछ मंत्रो का उच्चारण करते हुए उस मुर्गी के ऊपर हाथ फेरा और कहा आज से यह कोई साधारण मुर्गी नहीं बल्कि यह एक जादुई सोने की मुर्गी बन गई है और आज से तुम जो भी इससे कहोगी यह वही करेगी।
यह सुनकर अनीता हैरान हो जाती है और अपनी मुर्गी को लेकर गाँव चली जाती है। गाँव जाने के बाद उसे सबसे पहले रहने के लिए एक घर चाहिए होता है फिर वह उस जादुई मुर्गी से कहती है ” है जादुई सोने की मुर्गी मुझे रहने के लिए एक घर चाहिए” देखते ही देखते वह सोने की मुर्गी एक विशाल सोने के घर में बदल जाती है। अनीता जैसे ही उस घर के अन्दर जाती है तो वह घर किसी महल से कम नही होता।लेकिन उस घर के अन्दर कोई भी सामान नहीं होता फिर अनीता कहती है “हे विशाल जादुई सोने की मुर्गी इस घर में तो कुछ भी नहीं है? मैं यहां कैसे रहूंगी ? “।
फिर मुर्गी कहती है तुम दुबारा से अंदर जाओ अंदर सब सामान हैं । मुर्गी को ऐसे बोलता देख अनीता बहुत हैरान हो जाती है और फिर उस घर में चली जाती है अब उसे बहुत जोर से भूख लगती है जैसे ही वह घर के अंदर प्रवेश करती है तो वहाँ पर पहले से ही काफी सारे पकवान भी होते है जिसे खाकर अनीता बहुत खुश होती है। इस तरह से अनीता के विशाल जादुई सोने की मुर्गी की बात धीरे-धीरे पूरे गाँव में फैल जाती है।

जब यह बात धनी सेठ के पास पहुंचती है तो वह फिर से अनीता की मासूमियत का फायदा उठाने की सोचता है। वह अनीता के पास जाकर कहता है यही पास वाले गांव में बहुत खतरनाक डाकू रहते है और तुम अकेली हो तुम इस विशाल जादुई सोने का मुर्गी घर की देखभान अकेले नहीं कर सकती इसीलिए मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ। लेकिन अब अनीता पहले जैसी मासूम नही थी उसने धनी सेठ को कहा कि यह मुर्गी हमेशा मेरी हिफाजत करेगी आप घबराइए मत। यह सुनकर धनी सेठ समझ गया कि अब अनीता को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता इसीलिए वो वहाँ से चला गया ।एक दिन वह अपने साथ तीन चार आदमी को लेकर आया ताकि वह उस विशाल सोने के मुर्गी घर को चुरा सके ।
लेकिन अनीता ने बड़ी चालाकी दिखाई और धनी सेठ से कहा कि अगर तुम्हें यह विशाव जादुई सोने का मुर्गी घर चाहिए तो तुम रख लो और जैसे ही धनी सेठ उस मुर्गी घर के अन्दर गया, अनीता ने मुर्गी घर से कहा कि” हे मुर्गी घर जोर जोर से हिल कर दिखाओ और थोड़ा सा कूद कर भी दिखाओ” यह कहते ही मुर्गी जोर- जोर से हिलने लगी और उछल कूद करने लगी इससे मुर्गी घर के अंदर गए धनी सेठ की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई। उसने अनीता से कहा बिटिया कृपा करके इस मुर्गी को रुकने के लिए बोलो, मैं आज से तुम्हे परेशान नहीं करूंगा।
अनीता ने कहा मेरी एक शर्त है बताओ मानोगे मेरी शर्त? मेरी शर्त है कि तुमने जिस-जिस के घर चालाकी से हड़पा है उन्हें वापस कर दो ।धनी सेठ के पास उस समय कोई दूसरा विकल्प नहीं होता और उसे अनीता की शर्त माननी पड़ती है। इस तरह से अनीता ने धनी सेठ को अच्छा सबक सिखाया और अब वह किसी से घर हड़पना तो दूर की बात है बल्कि उनको परेशान भी नहीं करता था । आज अनीता उस जादुई मुर्गी के साथ बहुत खुश है और उस मुर्गी से वह गांव वालों की मदद भी करती है।
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