bacchon ki kahani (बच्चों की कहानी) दोस्तों आज हम आपको सुनाने वाले है एक लालची और झूठ बोलने वाली लोमड़ी की कहानी | इस लोमड़ी ने पूरे जंगल के जानवरों को परेशान कर रखा था लेकिन अंत मे उसके साथ क्या होता है आइए इस कहानी के माध्यम से जानते है।

bacchon ki kahani (बच्चों की कहानी)
एक जंगल में लोमड़ी रहती थी जो दिन भर झूठ बोलकर और चोरी करके अपना पेट भरती थी ।झूठ बोलने और ठगी करने में उसका कोई मुकाबला नही कर सकता था | पूरे जंगल में कोई ऐसा जानवर नहीं था जिसे लोमड़ी ने ठगा ना और झूठ ना बोला हो। रोज की तरह एक बार लोमड़ी खाने की तलाश में निकली और खुद से कहने लगी रोज-रोज इस जंगल का खाना खाकर मैं ऊब चुकी हूँ आज स्वाद में कुछ बदलाव होना चाहिए क्यो न आज मीठे में गन्ना खाया जाए |
वह लोमड़ी गन्ने की तलाश में जंगल से बाहर एक खेत मे गई वहाँ पर हरे -भरे खेत को देखकर लोमड़ी की खुशी का ठिकाना ना रहा । पहले तो उसने आस-पास देखा पर वहाँ कोई नहीं था फिर वह चुपके से गन्ने के खेत में घुस गई और मजे से गन्ने को खाने लगी। खेत में हलचल देखकर दूर बैठे एक किसान ने दूसरे किसान से कहा भाई तेरे खेत मे हलचल हो रही है शायद कोई तेरे खेत में घुस गया है। दूसरे किसान ने कहा शायद यह वही लालची लोमड़ी है आखिरी बार भी उसकी वजह से मुझे बहुत नुकसान हुआ था लेकिन इस बार मैं उसको नही छोडूंगा , उसको ऐसा सबक सिखाऊँगा की अगली बार से वह किसी के खेत में घुसने की हिम्मत भी नहीं करेगी।
यह कहते हुए वह किसान गुस्से में अपने एक हाथ में लाठी लेकर उस गन्ने की खेत की तरफ भागता है और जब वह उस खेत में पहुँचता है तो वह देखता है कि एक लोमड़ी उसके गन्ने को बड़े चाव के साथ खा रहा है। यह देखकर उस किसान को बहुत ज्यादा गुस्सा आता है और वह लाठी से उसकी पिटाई करने लगता है। लोमड़ी कहती है कि कृपा करके मुझे जाने दो, मैं इस खेत में पहली बार आई हूँ और सिर्फ इस बार मुझे माफ कर दीजिए मैं अगली बार से यहाँ पर बिल्कुल भी नहीं आऊंगी ।

यह सुनकर किसान कहता है तूने मुझे मूर्ख समझा है आज तो तू कुछ भी कह ले कुछ भी कर के ले पर तू मेरे हाथों से नहीं बचने वाली । यह कहकर किसान फिर से उस लोमड़ी को लाठी से मारने लगता है। जैसे-तैसे लोमड़ी अपनी जान बचाकर उसे गन्ने के खेत से भाग जाती है और दर्द की वजह से जोर जोर से करहाने लगती है और उस किसान को भला-बुरा कहने लगती है। यह सुनकर किसान कहता है शायद तुझे मार कम पड़ गई तू वही पर रुक मैं फिर से तेरी अच्छे से खातिरदारी करता हूं और यह सुनकर लोमड़ी वहां से भाग जाती है। भागते- भागते वह एक रंगरेज में जा गिर जाती है उस रंगरेज के नीले रंग की वजह से उसका पूरा शरीर का रंग नीला हो जाता है ।
खुद को नीला देखकर वह लोमड़ी हैरान हो जाती है और खुद से कहती है कि एक मुसीबत टली नहीं और दूसरी मुसीबत आ गई। उसी समय उसके शैतानी दिमाग में कुछ खुराफाती विचार आया और उसने सोचा अपने इसी रुप से जंगल के जानवरों को डराकर सभी के मजे लूंगा और वह उस रंगरेज से बाहर निकलकर जंगल की तरफ जाने लगा। जंगल में नीले रंग का जानवर आता देख वहाँ पर मौजूद सभी जानवर भी उलझन में पड़ जाते हैं कि यह कौन सा प्राणी है? ऐसा प्राणी तो हमने आज तक नही देखा ? जैसे-जैसे वो लोमड़ी पास आती गई वैसे वैसे वहा मौजूद सभी जानवरों के दिल की धड़कने तेज होने लगी । बड़ी मुश्किल से हिम्मत करते हुए वहा मौजूद जानवर ने लोमड़ी से पूछा कि है नील प्राणी आप कौन है ?

और कहा से आए है? आपके शरीर का रंग नीला क्यों है? उसी समय लोमड़ी ने कुछ सोचा और फिर हंसते हुए कहा आज से मैं इस जंगल का नया राजा हूँ और मैं ईश्वर का दूत हूं और मैं नीले आकाश से आया हूँ इसीलिए मेरे शरीर का रंग नीला है। ईश्वर का दूत सुनकर वहां मौजूद सभी जानवर हैरान हो जाते हैं और पूछते है ईश्वर ने हमारे लिए क्या संदेश भेजा है। लोमड़ी कहती है कि आप सभी को आज से मेरी सेवा करनी होगी इसी में आप सभी का कल्याण होगा और मैं इस जंगल मे आने वाली सभी मुसीबतों से आपको बचाऊँगा । यह सुनकर सभी जानवर उस लोमड़ी की जय-जयकार करने लगते हैं और उसे राजा के सिंहासन में बिठा देते हैं। जंगल में अब खुशी का माहौल था सारे जानवर उस लोमड़ी की सेवा में लग गए । कोई उसके हाथ-पाव दबा रहा था तो कोई उसकी प्रशंसा के गीत गाता तो कोई उसको अलग अलग तरह के पकवान खिलाता।

अब लोमड़ी अपने असली रूप को भुलाकर खुद को असली का राजा समझने लगती है। दूर-दूर से अलग-अलग जानवर उसके दर्शन की लिए आने लगे। उसी बीच एक बार लोमड़ी का एक झुंड भी आया जिसे देखकर लोमड़ी बहुत ज्यादा खुश हुई। लोमड़ी का झुंड राजा का अभिवादन करने के लिए जोर जोर से ऊ ऊ की आवाज करने लगे लेकिन अपनी आदत से मजबूर लोमड़ी भी उस झुंड के सुर के साथ सुर मिलाने लगी और उस लोमड़ी की आवाज सुनकर वहाँ पर मौजूद सारे जानवर दंग रह जाते है ।
जब लोमड़ी को पता चला कि अब तो उसकी पोल खुल चुकी है तो वह बहुत ज्यादा डर गई । सभी जानवर अब बहुत ज्यादा गुस्से में थे क्योंकि लोमड़ी ने इस बार सारी हदे पार कर दी थी । सारे जानवर गुस्से में अब उस लोमड़ी को बुरी तरीके से मारने लगे। लोमड़ी की हालत खराब हो गई जिससे वह जोर-जोर से कराहने लगी और सभी जानवरों से प्रार्थना करने लगी कि मुझे बस एक मौका दे दो मैं वादा करती हूँ कि आज से मैं ऐसा मजाक कभी नहीं करूंगी। लेकिन वहाँ मौजूद जानवरों ने उसकी एक भी ना सुनी और मार-मार कर उसकी हालत खराब कर दी ।
निष्कर्ष
दोस्ती आपने इस कहानी के से माध्यम जान ही लिया होगा कि लालच और झूठ बोलने का क्या नतीजा होता है। अगर आप चाहते हो कि आपके साथ जीवन में ऐसा कभी ना हो तो आज से खुद से एक वादा कीजिए कि जीवन में कभी भी झूठ नही बोलेंगे और ना ही कभी लालच करेंगे।
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