आज का हमारा विषय है अपने लक्ष्य को खेल-खेल में कैसे प्राप्त करें। सबसे पहले हमें हमारे जीवन का लक्ष्य पता होना चाहिए क्योंकि बिना लक्ष्य के जीवन अधूरा होता है। अगर हमें अपनी एक अलग पहचान बनानी है और जीवन में सफल होना है तो सबसे पहले अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करें। लक्ष्य हमारे जीवन को एक दिशा देती है कि हमने किस समय में कौन सा काम करना है और कैसे करना है। जैसे बिना ड्राइवर की गाड़ी नहीं चल सकती उसी तरह बिना लक्ष्य के मनुष्य सफल नहीं हो सकता।
सबसे पहले अपने जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित करें। लक्ष्य के साथ जीवन आसान और सरल हो जाता हैं। बिना लक्ष्य के मनुष्य अधूरा है। भगवान ने इंसान को क्यों बनाया हैं ताकि वह अपने लक्ष्य को समझें और उसी दिशा में आगे बढ़ता रहें। इस दौरान काफी सारी मुश्किलें भी आएंगी , पर ऐसी परिस्थिति में इंसान घबराएं नहीं बल्कि डटकर उसका सामना करे। जीवन की चुनौती के साथ हमने खेल खेलना है ताकि वह हमे समस्या ना लगे।

अब हमने जीवन का लक्ष्य भी निर्धारित कर लिया और हम उसी दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ते जा रहे हैं और राह में बहुत सारे मुश्किलें हैं जिसका सामना करना भी जरूरी है ।क्योंकि बिना मुश्किल का सामना किए बिना हम अपने लक्ष्य की तरफ आगे तो बढ़ सकते हैं , लेकिन लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर सकते।
इसीलिए मुश्किल हालातों से डरे नहीं बल्कि उसका सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहे। आप यह समझे ले कि आपके जीवन में कोई मुसीबत नहीं आई बल्कि एक नई चुनौती आई है, जिसका सामना करने से आप अपने जीवन को एक नई चुनौती के लिए तैयार कर रहे हैं। खुद को इतना मजबूत कर ले कि मुश्किलें भी आपके सामने घुटना टेक ले। एक समय ऐसा भी आएगा कि जब चुनौती आपके सामने आकर यह कहें -“भाई मैं तो बस तेरे दर्शन करने आया था” । खुद को इस कदर मज़बूत कर ले कि आपको चुनौती सिर्फ चुनौती ना लगे बल्कि एक खेल लगे जिसे आप बरसो से खेलते आ रहे हो ।
और एक ऐसा समय भी आएगा कि हम अपने मुश्किल हालात में टूट जाए और इतना थक जाए कि हम अपनी राह से ही भटक जाए। अगर हम अपने जीवन में किसी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं तो उसे एक चुनौती न समझ कर एक खेल समझे क्योंकि जब हम कोई खेल खेलते हैं तो राह की मुश्किलें आसान हो जाती है। ऐसी मुश्किल परिस्थिति में हमें वह चुनौति दिखाई नहीं देती हमें लगता है हमें खेल खेल रहे हैं और हम अपने लक्ष्य को कब पा लेते हैं हमें खुद पता नहीं चलता।

लक्ष्य का मतलब यह नहीं है कि खूब मेहनत करो और उसी में लगे रहो ।लक्ष्य का अर्थ यह भी है कि अपने लक्ष्य की कल्पना करो और लक्ष्य को पाने के लिए हमेशा सतर्क रहो क्योंकि राह में मुश्किलें कभी भी आ सकती है और उस मुश्किल का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहो।
हमें अपना पूरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करना है। कहते हैं कि “नजर हटी और दुर्घटना घटी” हमें ऐसा कोई काम नहीं करना ।आपका पूरा ध्यान आपके लक्ष्य पर होना चाहिए। अपने दिल और दिमाग को अपने लक्ष्य पर इस तरह से केंद्रित करना है कि चाह कर भी आपका ध्यान भटके नहीं।
हमने अपने जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित भी कर लिया। हमें पता है कि इसमें क्या होता है और इसे कैसे प्राप्त करना है। हमें लक्ष्य की पूरी जानकारी है परंतु इसे
व्यावहारिक (practically) रूप से ना करें तो हम उस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते । उदाहरण के लिए हमारे जीवन का लक्ष्य हैं डॉक्टर बनना , हमने किताबी ज्ञान बहुत ले लिया लेकिन अगर हम प्रैक्टिकली रूप से उस काम को ना करें तो हम एक अच्छे डॉक्टर नहीं बन सकते। हमारे पास डॉक्टरी की पूरी जानकारी है परंतु मरीज का इलाज कैसे करना है वह नहीं पता तो हम सिर्फ नाम नाम के डॉक्टर है।

इसीलिए किताबी ज्ञान के साथ-साथ हमारे पास व्यवहारिक(practical) ज्ञान भी होना जरूरी है। बिना व्यवहारिक ज्ञान के हमारा किताबी ज्ञान व्यर्थ है। इसलिए हमें व्यर्थ का ज्ञान नहीं लेना हमें वही ज्ञान लेना है जो हमें हमारे लक्ष्य की तरफ ले जाए। लक्ष्य की प्राप्ति के समय ऐसी काफी सारी चीजें भी आएंगी जो हमें हमारे लक्ष्य से भटका सकती है। उस समय शायद हम अपने मार्ग से भटक जाए और हमें पता भी ना चले, इसीलिए लक्ष्य को निर्धारित करने और लक्ष्य को पाने के बीच बहुत सारी मुश्किलें आएंगी। कभी-कभी मुश्किलें इस हद तक आएंगी कि वह इंसान को अंदर से पूरी तरह से तोड़ देगी। शायद वह इंसान को संभलने का मौका भी न दे। ऐसे समय में इंसान को कुछ समय के लिए अपने मार्ग में रुक जाना चाहिए और शांत दिमाग से आगे की रणनीति तैयार करनी है ।
अपने लक्ष्य को पाना इतना इतना आसान नहीं है ।लक्ष्य को पाने के लिए हमें खुद को इतना मजबूत बना लेना है कि हम उस चुनौती के लिए खुद को तैयार कर पाए । मुश्किल हालातों में खुद को मजबूत बनाना है ताकि जीवन की छोटी-छोटी समस्या हमारे दैनिक जीवन में कोई प्रभाव न डाल सके ।हमें हर चुनौती का सामना ऐसे करना है जैसे जीवन एक खेल है और इस खेल में हमने जीत हासिल करनी है और चुनौती का डटकर सामना भी करना है।
बिना लक्ष्य के जीवन व्यर्थ है। हर मनुष्य के जीवन का एक न एक लक्ष्य जरूर होता है। कोई अपना लक्ष्य समय से पहले निर्धारित कर लेता है और कोई पूरी जिन्दगी में भी अपना लक्ष्य निर्धारित नहीं कर पाता। लक्ष्य निर्धारित करने के बाद उसे एक खेल की तरह खेले। इससे जीवन का लक्ष्य पहले से आसान हो जाता है और राह की मुश्किलें भी आसान लगने लगती हैं। लक्ष्य ही हमारे जीवन को एक सही दिशा देती है और लक्ष्य के साथ ही जिंदगी जीने का मजा आता है।
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